प्राचीन काल के प्रमुख व्यक्ति

By: Vivek

प्राचीन काल के प्रमुख व्यक्ति

 प्राचीन काल के प्रमुख व्यक्तियों का वर्णन निम्न है

 महावीर स्वामी

 महावीर स्वामी का जन्म 540 ईसवी पूर्व में वैशाली के समीप कुंड ग्राम में हुआ था। महावीर जैन धर्म के 24 में तीर्थकर  थे। इसके बचपन का नाम  वर्धमान था। 

 इन्हें  12 वर्ष की कठोर साधना के पश्चात साल  वृक्ष के निकट कैवल्य  प्राप्त हुआ था। महावीर ने 468 ईसवी पूर्व पावापुरी में शरीर त्याग दिया था। 

 इसके प्रमुख उपदेश  अहिंसा त्याग, अस्तेय ,अपरिग्रह और  ब्रह्मचर्य थे । 

बौद्ध ग्रंथ मृज्झिम निकाय के “समागम सुत्त ” खंड में महावीर स्वामी की चर्चा “निग्रथ नाथपुत्त ” के रूप में की गई हैं । 

महात्मा बुद्ध 

महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. में कपिलवस्तु के शाक्य कुल के क्षत्रिय परिवार में हुआ था । इन्हें बोधगया में निरंजना नदी (फल्गु नदी ) के तट पर ज्ञान प्राप्त हुआ । इन्होने चार आर्य सत्य एवं आष्टागिक मार्ग का प्रतिपादन किया । 

इनको 483 ई. पू. में कुशीनगर उत्तर प्रदेश मैं महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ।  मगध के शासक  बिंम्बिसार ने भगवान  भगवान बुद्ध  से दीक्षा ली थी। 

महात्मा बुध  मध्यम मार्ग के पक्षकार थे। 

 आर्यभट्ट

 आर्यभट्ट का जन्म पाटलिपुत्र ( प्राचीन कुसुमपुर)  में हुआ था।  इस महान गणितज्ञ ने बीजगणित की प्रारंभिक आधारशिला रखी।  इन्होंने दशमलव प्रणाली का विकास किया। 

 यह गणितज्ञ होने के साथ-साथ खगोलविद भी  थे।  आर्यभट्ट एक ऐसे  नक्षत्र वैज्ञानिक थे  जिन्होंने यह बताया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती हुई सूर्य के चारों ओर चक्कर लगती हैं । 

इसके द्वारा रचित पुस्तकों में आर्यभटटीय एवं सूर्य सिद्धान्त महत्वपूर्ण हैं । 

सम्राट अशोक 

अशोक अपने पिता  बिंदुसार के बाद मगध की गद्दी पर बैठा।  261 ईसवी पूर्व में हुई कलिंग के युद्ध  ने इसके हृदय  को परिवर्तित कर दिया एवं इसने  बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। 

प्रजा  कल्याण के लिए इतने बड़े पैमाने पर कार्य करवाइए एवं भेरी घोष के स्थान पर धम्म घोष को प्रक्षाय दिया । इसी के समय में पाटलिपुत्र में तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन 250 ई. पू. में हुआ था । 

चाणक्य  

इन्हें कौटिल्य एवं विष्णु गुप्त के नाम से भी जाना जाता है । ये चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री होने के साथ साथ उनके राजनीतिक गुरु एवं पथ प्रदर्शक भी थे । 

चाणक्य  ने अर्थशास्त्रा नामक ग्रंथ की रचना संस्कृत में की,जिसमें मौर्य प्रशासन का राजनीतिक व्यवास्था पर लिखी गई पुस्तक थी । इन्होने नन्द वंश के पतन में अहम योगदान निभाया था । 

पाणिनी 

वैयाकरण (व्याकरण के ज्ञाता ) व्याकरण शास्त्री पाणिनी बिहार के मनेर के निवासी थे । कई विद्वानों में इनके जन्म स्थान को लेकर विवाद हैं । 

इन्होने अष्टाध्यायी नामक पुस्तक की रचना की । ये मौर्यकालीन रचनाकर थे । 

अश्वघोष 

बौद्ध धर्म की महायान शाखा के उत्कृष्ट विद्वान अश्वघोष ने पटलिपुत्र के अशोकराम विहार में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली । 

कनिष्क ने पाटलीपुत्र पर आक्रमण किया तथा अश्वघोष को बलात अपने साथ राजधानी पेशावर ले गया । 

इन्होंने बुद्ध चरितम,सौंदरनन्द,महायान,शारीपुत्र प्रकरनाम इत्यादि ग्रन्थों की रचना की । 

बुद्धघोष 

आचार्य बुद्धघोष एक बौद्ध भिक्षु थे । इनका जन्म बोद्धगया के समीप मोरन्ड खेटक नामक गाँव में हुआ था । 

यह अटठकथाओ के लिए श्रीलंका गए थे । इनकी प्रसिद्ध पुस्तकें ज्ञानोदय,विसुद्दीमग्न,सामंतपसादिका,सुमंगल विलासिनी ,मनोरथपूर्ण, परमत्थ-दीपनी इत्यादि हैं । 

शांत रक्षित

 इन्होंने बौद्ध धर्म के गौरव को संसार के समक्ष उपस्थित किया।  यह आठवीं शताब्दी में पाल वंश के शासन काल में नालंदा विश्वविद्यालय के आचार्य थे।  इन्होंने तिब्बत जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार में अपना अमूल योगदान किया। 

 मंडन मिश्र

 मिथिला के प्रसिद्ध विद्वान एवं  दार्शनिक मुंडन  मिश्र शंकराचार्य के समकालीन थे।   जनश्रुतिओं के अनुसार शास्त्रार्थ  में से शंकराचार्य द्वारा पराजित किए थे, लेकिन इनकी पत्नी भारती ने शंकराचार्य को पराजित कर दिया था।  कि नहाने न्याय,  मीमांसा  तथा वेदांत दर्शन की समृद्धि एवं प्रचार प्रसार में सराहनीय योगदान दिया। 

आम्रपाली

 आम्रपाली वैशाली की राजनर्तकी थी।  इन्होंने वैशाली की नगरवधू का पद प्रदान किया गया। 

 इन्होंने भगवान बुद्ध  के वैशाली आगमन पर  अपने यहां भोजन के लिए आमंत्रित किया, जिसे बुद्ध ने स्वीकार किया। 

 अजातशत्रु भी आम्रपाली के प्रशंसकों में शामिल था । बुद्ध ने आम्रपाली को “आर्य अम्बा ” कहकर संबोधित किया था । 

निष्कर्ष
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