बिहार में महाजनपदों का उदय तथा कारण

बिहार में महाजनपदों का उदय

बिहार में महाजनपदों का उदय तथा कारण

 भारतवर्ष में विशाल एवं संगठित  राज्यों का उदय छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व में हुआ था।  इस काल में 16  महाजनपदों और 10  गणराज्यो  की जानकारी  बौद्ध धर्म के प्रमुख ग्रंथ अंगूर निकाय से मिलती है,

महाजनपद,राजाओ के द्वारा शासित थे , और कुछ महाजनपद में पृथक शासन व्यवस्था थी । जिन्हें गणसंघ कहा जाता था । इस गणसंघ में एक से अधिक शासन होता था , प्रत्येक को राजा कहा जाता था ।

बिहार में महाजनपदों का उदय का कारण

लोहे युग का आगमन हो चुका था फलस्वरूप अब कृषि का कार्य सही ठंग से होने लगा , जिसके कारण लोगों में स्थायित्व की भावना पनपने गली थी, छोटे छोटे राज्य बनने लगे थे बुद्ध के समय तक पाहुचते पाहुचते जन का अत्यधिक रूपान्तरण हो चुका था और जनपदों का जन्म हुआ

इन 16 महाजनपदों में  तीन सबसे शक्तिशाली महाजनपद अंग, मगध, एवं संघ बिहार क्षेत्र में स्थित था।

 महाजनपदराजधानीक्षेत्र
1.अंग चंपा भागलपुर, मुंगेर
2. मगध  राजगृह पटना गया
3. काशी वाराणसी वाराणसी उत्तर प्रदेश
4. वत्स कौशांम्बी इलाहाबाद उत्तर प्रदेश
5. वज्जि वैशाली/ विदेह / मिथिला दरभंगा मुजफ्फरपुर
6.  कोसल श्रावस्ती फैजाबाद
7. अवंती उज्जैन मालवा मध्य प्रदेश
8. मल्ल कुशावती देवरिया उत्तर प्रदेश
9. पंचालअहिच्छत्र बरेली उत्तर प्रदेश
10. चेदि शक्तिमती बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश
11. कुरु इंद्रप्रस्थ दिल्ली मेरठ एवं हरियाणा
12.मत्स्य विराटनगर जयपुर
13.कम्बोज हाटक राजोरी
14.शूरसेन मथुरा मथुरा
15.अश्मक पोटली दक्षिण भारत का एकमात्र जनपद गोदावरी नदी क्षेत्र
16.गांधार तक्षशिला रावलपिंडी एवं पेशावर पाकिस्तान

इन सभी 16 महाजनपदों में से 3 सबसे शक्तिशाली महाजनपद था।  अंग, मगध एवं वज्जि  संघ  बिहार क्षेत्र में स्थित था।

16 महाजनपदों में से 3 सबसे शक्तिशाली

 अंग

16 महाजनपदों में से अंग भी एक विशाल महजनपदों में से एक था ।  अंग महाजनपद का विस्तार बिहार के पूर्वी भाग से  बंगाल की खाड़ी तक फैला हुआ था।  अंग महाजनपद का सर्वप्रथम उल्लेख  प्रमुख्य ग्रथ अथर्ववेद से मिलता प्राप्त हुआ था ।

 अंग महाजनपद का राजधानी चंपा थी जो वर्तमान भागलपुर के क्षेत्र समीप है।

 पूराण और महाभारत के अनुसार  राजा बलि के 6 पुत्र थे, जिसमें से एक अंग भी पुत्र  था ।  अंग द्वारा ही अंग महाजनपद की स्थापना की गई थी।

अंग महाजनपद के अंतर्गत  विरभूम , मानभूम, संथाल  परगना व मुरादाबाद इत्यादि के क्षेत्र शामिल था।

 अंग महाजनपद की  पश्चिमी सीमा पड़ोसी राज्य  मगध काफी से सटी हुई थी, जिसके बीच में  एक चंपा नदी था जो एक सीमा रेखा का निर्धारित करता था यही सीमा रेखा बतलाता था किस महाजनपद का क्षेत्र कहा तक हैं ।

 बौद्ध ग्रंथ के प्रमुख्य ग्रंथ अंगुतर निकाय अंग को  16 महाजनपद के रूप में रखा गया है।

 पुराणों तथा महाभारत में चंपा नदी का प्राचीन नाम “मालिनी”  थी।

अंग  और मगध महाजनपद के बीच  प्रभु सत्ता स्थापित हेतु लंबे समय तक संघर्ष चला।

 इस संघर्ष में पहले अंक के शासक  ब्रह्म दत्त ने मगध के राजा  को पराजित कर मगध राज के कुछ भाग को जीत लिया था।

 कालांतर में मगध के शासकों ने संपूर्ण अंग राज को जीतकर अपने राज्य में मिला लिया।  ब्रह्मदत्त अंग महाजनपद का अंतिम शासक था।

वज्जि संघ

वज्जि संघ महाजनपद की स्थापना 725 ईसवी पूर्व के आसपास की गई थी। वज्जि संघ  8 राज्यों का एक संग था। वज्जि संघ  के 8 राज्य शामिल था जैसे  लिक्षवी, विदेह , ज्ञात्रिक, योग,  कौरव , वैशाली,उग्र और इक्ष्वाकु।   संपूर्ण वज्जि संघ का एक ही  राजधानी  वैशाली थी। सभी राज्य वैशाली मानते भी थे । 

वज्जि संघ  शासन स्थापित संचारित करने के लिए एक संविधान का निर्माण किया गया था जिसके तहत राजा का निर्वाचन होता था। वज्जि संघ संघीय शासन व्यवस्था की संचालित करने हेतु लगभग 7707 राजा थे।

 राजा के अतिरिक्त  उप-राजा, सेनापति एवं भंडारी का भी  भी चुनाव किया जाता था।  वज्जि संघ की  सभा का आयोजन भवन भी था जिसे  संस्थागर  कहा जाता था।

 वज्जि संघ  अष्टकुल  नामक एक संस्था थी। अष्टकुल से तात्पर्य यह हैं की अष्ट अर्थात आठ और कुल अर्थात वंश , आठ वंश का राजा ,  जो प्रमुख रूप से न्याय महासमिति का कार्य करती थी।

 ग्राम एवं नगर प्रशासन को देखरेख हेतु ग्रामीण और  पूर्ण गमीक  की नियुक्ति की जाती थी।

वज्जि संघ  वर्तमान बिहार का क्षेत्र  चंपारण, सारण, मुजफ्फरपुर सीतामढ़ी दरभंगा जिलों तक  फैला हुआ था।

 विदेह

विदेह महाजनपद का उल्लेख   यजुर्वेद में सबसे पहले मिलती है।  इस वर्ष का प्रारंभ  इक्ष्वाकु के पुत्र  निमि विदेह से माना जाता हैं , जो सूर्यवंशी थे।

विदेह  महाजनपद के इक्ष्वाकु वंश के दूसरे राजा जनक विदेह मिथिला की स्थापना की थी, तथा इसके पश्चात यहां के सभी राजाओं के नाम के साथ जनक शब्द  जुड़ने लगा ।

 मिथिला के राजाओं में जनक विदेह सर्वाधिक चर्चित एवं यशस्वी राजा थे इस वंश के 25 में राजा सिरध्वज जनक हुए, जो अयोध्या के राजा दशरथ के समकालीन थे।  इनकी पुत्री सीता का विवाह अयोध्या के शासक दशरथ के पुत्र राम से हुआ। इस वर्ष के अंतिम राजा करल  जनक थे।

विदेह  राज वर्तमान बिहार के दरभंगा जिले और उसके आसपास के क्षेत्र में विस्तृत था।

 वैशाली

 वैशाली महाजनपद  नामकरण वैशालीक वंशीय राजा  विशाल के नाम पर किया गया था।  इस वंश का स्थापना इच्छा वित्त के पुत्र विशाल ने की थी।  राजा विशाल की चर्चा द्वारा नारद भागवत पुराण में मिलती है।

 छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व का सबसे बड़ा और शक्तिशाली गणराज्य वैशाली था।  गणतंत्र व्यवस्था के कारण इसे विश्व का प्रथम  गणतंत्र भी कहा जाता है।

निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम सब ने बिहार में महाजनपदों का उदय कैसे हुआ और बहुत सारे शब्दों के बिहार में महाजनपदों का उदय के बारे में बात किया यदि आपको बिहार में महाजनपदों का उदय से जुड़ा आज का पोस्ट पसंद आया हो तो इसे शेयर और कोई त्रुटि रह गया हो तो कमेंट करके जरुर बताये।

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2 thoughts on “बिहार में महाजनपदों का उदय”

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