Table of Contents
बिहार में सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलन की शुरुआत | Beginning of social and religious movement in Bihar
ऋग्वैदिक काल के अंतिम चरण (1000 ई . पू )में वर्ण व्यवस्था का उल्लेख पुरूष सूक्त में मिलता है | धीरे-धीरे सामाजिक आर्धिक एवं धार्मिक जटिलताएँ समाज में बढने लगी | इस कारण वैदिक धर्म सम्प्रदाय प्रमुख थे|इन दोनों सम्प्रदायों की उत्पति और विकास बिहार में हुआ हो गया था |
सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलन शुरुआत का कारण
उत्तर वैदिक काल के समय स्पष्टत: छत वर्णों में विभाजित था – ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य और शूद्र । प्रत्येक वर्ण के कर्तव्य अलग अलग निर्धारित किए गए थे । वर्ण का निर्धारण कर्म पर न होकर जन्म पर आधारित था
वर्ण व्यवस्था में जो जीतने ऊचे वर्ण का होता था ,वह उतना ही शुद्ध और सुविधाकारी समझा जाता था ,इस व्यवस्था में अपराधी जीतने ही निम्न वर्ण का होता था , उसके लिए उतने ही कठोर दण्ड की व्यवस्था होती थी ।
विविध विशेषधिकारी का दावा करने वाले पुरोहितों या ब्रहणों की क्ष्रेष्टता के विरुद्ध क्षत्रियों का खड़ा होना नए धर्मों के उद्भव का कारण बना ।
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध और जैन धर्म के संस्थापक महावीर ये दोनों क्षत्रिय वंश के थे तथा दोनों ने ब्राह्मणों की मान्यता को चुनौती दी ।
बिहार में बौद्ध धर्म की शुरुआत
बिहार में बौद्ध धर्म को सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलन में अहम भूमिका रहा हैं
बिहार में बौद्ध एवं जैन दोनों ही धर्मो का उदगम स्थल है | भगमान बुद्ध का जन्म नेपाल में सिथत लुम्बिनी के आम्रकुंज में 563 ई. पू.में हुआ था|
महात्मा बुद्ध बचपन का नाम सिद्धार्थ था। इनके पिता शुध्दोधन एक कपिलवस्तु शाक्य कुल क्षत्रिय तथा माता महामाया कोशल के कोलीय कुल की एक राजकुमारी थी |
महात्मा बुध्द की पत्नी का नाम यशोधरा तथा पुत्र का नाम राहुल था |
29 वर्ष की आयु में बुध्द ने घर छोर दिया था | इस घटना को बौध्द सम्प्रदाय में महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है |
बुध्द को गया में बैसाख पूर्णिमा के दिन फल्गु (निरंजना) नदी के किनारे एक पीपल वृक्ष के किनारे जान प्राप्त हुआ था | इसी स्थान पर महाबोधि मंदिर का निर्माण कराया गया है | इस घटना को बौध्द धर्म में सम्बोधि कहा जाता है | पीपल एक के उस वृक्ष को बोधिवृक्ष तथा स्थान को बोधगया नाम दिया गया
बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया, इस घटना को बोद्ध धर्म में धर्मचक्रप्रवतर्न कहा जाता है । बुद्ध ने अपने उपदेश जनसाधारण की भाष पालि में दिये ।
गौतम बुद्ध के शिष्य जो शासक भी थे , उनमें बिम्बिसर , अजातशत्रु , प्र्सेनजित तथा उदयिन शामिल है ।
महात्मा बुद्ध की मृत्यु 483 ई. पू. कुशीनारा (कुशीनगर) में 80 वर्ष की अवस्था में हो गई बौद्ध धर्म में इसे महापारिनिर्वाण कहा जाता है ।
बौद्ध धर्म में ईश्वर और आत्मा को नहीं मानता हैं । बौद्ध संघ का द्वार सभी के लिए खुला रहता हैं चाहे वह व्यक्ति किसी धर्म का हो ।
बौद्ध धर्म में दु:ख की निवृति के लिए अष्टगिंक मार्ग का उपाय बताया गया हैं ।
बौद्ध धर्म के मुख्य नियम
1.पराये धन का लोभ नहीं करना
2. हिंसा नहीं करना
3. नशे का सेवन नहीं करना चाहिए
4. झूठ नहीं बोलना चाहिए
5. दुराचार से दूर रहना चाहिए
बौद्ध संगत | |||
क्रम | वर्ष | स्थान | शासन |
1. | 483 ई पू | राजगृह | अजातशत्रु |
2. | 383 ई पू | वैशाली | कालाशोक |
3. | 250 ई पू | पाटलीपुत्र | अशोक |
4. | 98 ई पू | कुंडलवान | कनिष्क |
बिहार में जैन धर्म का शुरुआत
जैन धर्म को बिहार में सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलन का अहमभूमिका रहा हैं
जैन धर्म का संस्थापक ऋषभदेव को माना जाता है , जोकि पहले जैन तीर्थकर थे
जैन धर्म में कुल 24 तीर्थकर हुये । बिहार में जैन धर्म का उदय छठी शताब्दी ई. पू. में हुआ । जैन धर्म के 23 वें तीतिथकर पश्व्र्नाथ थे जो ईक्षवाकू वंशयी राजा असवशेन के पुत्र थे । पाश्र्वनाथ के अनुयाय्यो को निग्र्न्थ कहा जाता है वे वैदिक कर्मकाण्ड एव देववाद के कटु आलोचक थे महाबीर स्वामी जैन ध्रम के 24वे एवं अंतिम तीर्थकर थे इन्हे ऐन ध्रम का वास्तविक संस्थापक भी माना जाता है |
महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के निकट कुंडग्राम (कुंडपुर) मे 540 ई पू मे हुआ था |
इनके पिता का नाम सिद्धरथ था जो ज्ञातृक क्षत्रिय वंश के थे तथा वैशाली गण के शासक थे इनकी माता का नाम त्रिशला (प्रियकरनी) था जो लिच्छवि की राजकुमारी थी
महावीर स्वामी की पत्नी का नाम यशोधरा था जिससे उन्हे प्रियदर्शना नामक पुत्री हुई
महावीर ने 30 वर्ष की आयु मे गृह त्याग दिया था महावीर स्वामी को 12 वर्ष की गहन तपस्या के बाद जृंभिकाग्राम के निकट ऋजूपलिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे सर्वोच्च ज्ञान (कैवल्य) की प्राप्ति हुई
उन्होने अपना पहला उपदेश विपुलगिरी (राजगीर) मे दिया | उनके प्रथम शिष्य जमाली थे
महावीर को इंद्रियो के जीतने के कारण कैवल्य की प्राप्ति हुई इसी कारण महावीर जिन अर्हन्त एवं निग्र्न्थ कहलाए |
जैन ध्रम के त्रिर्त्न सम्यक दर्सन सम्यक जीवन और सम्यक चरित्र है
महावीर को निर्वाण (मृत्यु) 468 ई॰ पू मे राजगृह के निकट पावापुरी नमक साथन पर मल्लरजा श्रीस्तिपाल के राजप्रासाद मे प्रपट हुआ था
जैन धर्म मे सांसरिक त्रिसना बंधन से मुक्ति को निर्माण कहा जाता है
जैन धर्म के सिद्धान्त
जैन धर्म के पाँच व्रत | ||
1 | अहिंसा | हिंसा नहीं करना चाहिए |
2 | सत्य/अमृषा | झूठ नहीं बोलना चाहिय |
3 | अस्तेय/अचौर्य | चोरी नहीं करना |
4 | अपरिग्रह | संपति अर्जित नहीं करना चाहिय |
5 | ब्रहचर्य | इंद्रियों को वश में करना |
जैन साहित्य
जैन साहित्य को आगम कहा जाता हैं । इसमें 12 अंग,12 अपांग ,10 प्रकीर्ण ,6 छेद सूत्र ,4 मूल सूत्र ,1 नंदी सूत्र ,एवं 1 अनुयोगद्वार हैं
Also Read बिहार में महाजनपदों का उदय
Also Read बिहार का इतिहास
निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम सब ने सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलन के बारे में जानकारी प्राप्त किया, साथ साथ बहुत सारे कारण के बारे में बात किया यदि आपको सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलन से जुड़ा आज का पोस्ट पसंद आया हो तो इसे शेयर और कोई त्रुटि रह गया हो तो कमेंट करके जरुर बताये।
Nice post. I was
checking continuously this blog and I
am inspired! Extremely helpful information particularly
the ultimate phase :
) I handle such info much.
I was looking for this certain information for a very lengthy time.
Thanks and good luck.