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bharatiy sansad ka gathan
भारतीय संसद (bharatiy sansad ka) भारत में रहने वाली सभी लोग के लिए एक मंदिर माना जाता हैं ।
भारतीय शासन (bharatiy sansad) व्यवस्था में वेस्ट्मिंटर मॉडल अपनाया गया हैं। वेस्ट्मिंटर मॉडल का अर्थ होता हैं– सरकार का संसदीय स्वरूप
भारतीय संविधान के भाग 5 में अनुच्छेद -79 से 122 तक संसद के गठन, संरचना कार्यकाल, विभिन्न प्रक्रियाओ, संसद को प्राप्त विशेषाधिकारों एवं शक्तियों का उल्लेख किया गया हैं ।
भारतीय संसद (bharatiy sansad) के तीन अंग निर्धारित करता हैं –
- राष्ट्रपति (President),
- लोकसभा (House of The People )
- राज्यसभा (Council of States)
1. राष्ट्रपति
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2. लोक सभा
लोक सभा संसद का प्रसिद्ध चर्चित सदन माना जाता हैं -क्योंकि इसके सदस्य भारत के आम मतदाताओं द्वारा सीधे चुन कर आते है। इस सदन के सभी सदस्य निर्वाचित होते है केवल एंग्लो–भारतीय समुदाय से दो सदस्य राष्ट्रपति द्वारा निर्वाचित किए जाते है।
संविधान में लोकसभा सदस्यों के संबंध में अनुच्छेद 81 में जानकारी प्राप्त दिया गया है। इसके सदस्य की अधिकतम संख्या 552(530 राज्यों से 20 केन्द्र्शासित प्रदेशों से और 2 एंगलों–भारतीय समुदाय से हो सकते है) निर्धारित की गई है, 2001 में भारत सरकार ने 84 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2001,द्वारा सीटों की इसी व्यवस्था को 2026 तक के लिए बाधा दिया है।
इस प्रकार अधिकतम सदस्य की संख्या 552 = 530+20+2 हो सकते हैं।
लोकसभा की विशेष शक्तियां
कुछ शक्तियाँ ऐसी है जो संविधान दवारा केवल लोकसभा को ही प्रदान की गई है,राज्यसभा को नहीं ये सक्तीय है-
- धन और वितिए विधेयक केवल लोकसभा में ही पुनस्थ्पित किया जा सकता है
- धन विधेयक के संबंध में राज्य सभा केवल सिफारिश कर सकती है और लोकसभा इन सिफारिशों को स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है एक धन विधेयक उच्च सदन दवारा 14 दिन में पास करना परता है। अन्यथा विधेयक सदन से स्वतः पसमन लिया जाएगा। इस प्रकार लोकसभा धन विधेयक पास करने के संबंध में विशेष विधायी अधिकार रखती है।
- मंत्रिपरिषद केवल लोकसभा के प्रति उतरदायी होती है . इसीलिए
- विश्वास और अविश्वास प्रस्ताव केवल इसी सदन में रखा जा सकता है
- अनुच्छेद 352 के तहत लोकसभा विशेस बैठक में राष्ट्रपति द्वारा घोषित घोषणाओं को स्वीकार अथवा रदद कर सकती है।
लोकसभा की अवधि
सामान्यत: लोकसभा की अवधि 5 वर्ष है, लेकिन राष्टृपति दवारा सामान्य अवधि के पूर्व भी सदन को भंग किया जा सकता है. अनुच्छेद 352 के तहत राष्टृपति आपातकाल के समय इसका कार्यकाल बढाया भी सकता है।
लोकसभा सदस्य योग्यताएं
लोकसभा सदस्य बनने के लिए उस व्यक्ति को :
1. सर्वप्रथम वह व्यक्ति को भारत का नागरिक होने चाहिए।
2. 25 वर्ष से कम आयु का न हो।
3. भारत के किसी भी संसदीय क्षेत्र का पंजीकृत मतदाता हो।
4. भारत सरकार या राज्य सरकार के किसी लाभ के पद न हो।
5. पागल या दिवालिया नही होना चाहिए।
लोकसभा का अध्यक्ष–
1.लोकसभा का सर्वाच्च पीठासीन अधिकारी होता है।
2.वह सदन की बैठकों की अध्यक्षता करता है और सदन की कार्यवाही पर उसके फैसले अंतिम होते है।
3.अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को 14 दिन पूर्व नोटिस देकर दवारा प्रभावी बहुमत से उनके पद से हटाया जा सकता है।
4.अपने पद की निष्पक्षता और गरिमा बनाये रखने के लिए अध्यक्ष केवल मत बराबर होने की दशा में मत दे सकता है और यह निर्णायक मत कहलाएगा।
अध्यक्ष की विशेष शक्तियां
कुछ एसी शक्तियां है जो केवल लोकसभा अध्यक्ष को ही प्राप्त है जबकि समान शक्तियां उसके समकक्ष, उच्च सदन के अध्यक्ष को भी नही प्राप्त है ये है –
1.किसी विधेयक के धन विधेयक होने या न होने के निर्णय का अधिकार अध्यक्ष को ही है।
2.अध्यक्ष, और उसकी अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष, संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में पीठासीन होगा।
3.संसदीय समितियां अध्यक्ष के अंतर्गत ही कार्य करती है और उन समितियों के अध्यक्ष भी यही नियुक्त या मनोनीत करता है. राज्यसभा के सदस्य भी कुछ समितियों के सदस्य होते है।
4.यदि लोकसभा अध्यक्ष किसी समिति का सदस्य है तो वह उस समिति का पदेन अध्यक्ष होगा।
अध्यक्ष का विशेष स्थान
संविधान लोकसभा अध्यक्ष के लिए एक विशेष स्थान की व्यवस्था देता है।
1.यद्दपी यह लोक सभा का एक निर्वाचित सदस्य होता है तब भी वह नई लोकसभा की पहली बैठक तक अपने पद बना रहता है. यह इसलिए क्योंकी वह न केवल सदन की संसद की कार्यवाही की अध्यक्षता करता है बल्कि लोकसभा सचिवालय के प्रमुख के रूप में भी कार्य करता है जो सदन के भंग होने के बाद भी कार्य करता रहता है।
2.अध्यक्ष संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता करता है।
3.किसी विधेयक के धन विधेयक होने या न होने का निर्णय अध्यक्ष करता है और इस संबंध में यह निर्णय अंतिम होता है।
4.वह भारतीय संसदीय समूह का पदेन अध्यक्ष होता जो भारत में अंतर-संसदीय संघ के रूप में कार्य करता है।
प्रोटेम स्पीकर
सविधान के अनुसार, पिछली लोकसभा का अध्यक्ष, नई लोकसभा की पहली बैठक से ठीक पहले अपना पद खली कर देता है। फिर राष्टृपति, सामान्य: लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करते है। प्रोटेम स्पीकर को राष्टृपति स्वयं शपथ दिलाते है। प्रोटेम स्पीकर के पास अध्यक्ष की सभी शक्तियां होती है। वह नव निर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्ष करता है। उसका प्रमुख कार्य नए सदस्यों को शपथ दिलाना और अध्यक्ष का चुनाव कराना होता है।
3. राज्य सभा
राज्य सभा या राज्यों की भारतीय संसद ( bharatiy sansad ) का उच्च सदन है . इसकी शादयसता 250 सीमित है जिसमे से 12 सदस्य, कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए राष्ट्रपति दावरा मनोनीत किए जाते है।
राज्य सभा सदस्यों का चुनाव राज्यों और केन्द्र्शसित प्रदेश के निर्वाचित सदस्यों दावरा होता है। इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष जिसमें से एक तिहाई सदस्य प्रत्येक दो वर्ष पर सेवामुक्त हो जाते है। राज्य सभा के सत्रों का तो अंत होता है किन्तु निचले सदन की तरह यह कभी भंग नहीं होती।
भारत के उप–राष्ट्रपति (वर्तमान में वैंकेय नायडू) इसके पदेन स्ध्यक्ष होते है और इसकी बैठकों की अध्यक्षता करते है। उपाध्यक्ष जो राज्यसभा के निर्वाचित सदस्यों में से होता है, वह अध्यक्ष की अनुपस्थिति में सदन में दिन प्रतिदिन के कार्य संभालता है। राज्य सभा की प्रथम बैठक 13 मई 1952 में हुई थी।
सदन का नेता
अध्यक्षता (भारत के उप–राष्ट्रपति) और उपाध्यक्ष के साथ ही एक सदन का नेता भी होता है।यह एक कैबिनेट मंत्री–प्रधान मंत्री, यदि वह सदन का सदस्य है तो, अथवा कोई अन्य मनोनीत सदस्य होता है। नेता की कुर्सी अध्यक्ष के बाद प्रथम पंक्ति में होती है।
सदस्य
एक व्यक्ति को राज्य सभा का सदस्य बनने के लिए
(a)भारत का नागरिक होना चाहिए।
(b)30 वर्ष या उससे अधिक आयु होनि चाहिए ।
(c)केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर न हो।
(d)संसद दावरा समय समय पर पारित योग्यताओं को पूरा करते हो।
राज्य सभा की शक्तियाँ
धन विधेयक को छोड़कर अन्य सभी विधेयकों के संबंध में समान अधिकार प्राप्त है । धन विधेयक के विषय में राज्य सभा को कोई अधिकार नहीं मिला है। धन विधेयक केवल लोकसभा में प्रस्तुत किया जसकता है . वहां पारित होकर जब यह राज्यसभा में आते है तो यहा इसे 14 दिन में पारित करना होते है। अथवा यह स्वतः पारित मान लिया जाता है।
उच्च सदन के रूप में राज्य सभा के कार्य
राज्य सभा अनुच्छेद 249 के अंतर्गत राजयसूची के किसी विषेय को उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से राष्ट्रीय महत्व का विषेय घोषित कर सकती है। संसद का वर्ष तक उस राज्य सूची के विषेय पर कानून बना सकती है। यह प्रस्ताव संसद का ध्यान अपनी और खींचती है। प्रस्ताव की वैधता केवल एक वर्ष होती है लेकिन इसे विस्तार देकर एक और वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।
द्वितीय राज्य सभा अनुच्छेद 312 के अंतर्गत राष्ट्रय हित में विशेष बहुमत दावरा अखिल भारतिए सेवाओं का सृजन कर सकती है। तृतीय राज्य सभा को उप राष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने का विशेस अधि कार है। ऐसा इसलिए क्योंकि उप–राष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने का विशेस अधिकार है। ऐसा इसलिए क्योंकि उप–राष्ट्रपति इसके अध्यक्ष होते है और उसी रूप में अपना वेतन पाते है।
संसद संबंधित शब्दावली
a) आहूत करना
संसद के प्रत्येक सदन को राष्ट्रपति समय–समय पर समान जारी करता है। लेकिन संसद के दोनों सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल 6 माह से ज्यादा नहीं होना चाहिए। दूसरे सब्दों में संसद कम से कम वर्ष में दो बार मिलना चाहिए समान्यतः वर्ष में तीन सत्र होते है :-
.बजट सत्र (फरवरी से मई)
.मानसून सत्र (जुलाई से सितंबर)
.शीताकालीन सत्र (नवम्बर से दिसम्बर)
b) संयुक्त बैठक
अनुच्छेद 108 के अंतर्गत ,सांसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाने का प्रावधान है।
लोकसभा अध्यक्ष संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है (अनुच्छेद-118) (4)भारतीय संसद (bharatiy sansad) के इतिहास में अब तक संयुक्त बैठक के केवल तीन अवसर है।ये निम्न है :
(i) मई 1961 में दहेज निषेध विधेयक, 1959.
(ii) मई 1978, बैकिंग सेवा आयोग विधेयक 1977
(iii) 2002, पोटा (pota-आतंकवाद निवारण विधेयक)
दोनों सदनों की संयुक्त बैठक निम्न दो विषयों के लिए बुलाई जा सकती है –
(i) किसी विधेयक को पारित करने में गतिरोध की स्थिति को दूर करने के लिए
(ii) राष्टृपति दवारा विशेष अभिभाषण – प्रत्येक आम चुनाव के बाद प्रथम सत्र के प्रारंभ में; प्रति वर्ष प्रथम सत्र में (बजट सत्र)
नोट: “धन विधेयक” और “संविधान संशोधन विधेयक” संबंधी गतिरोध दूर करने के लिए संयुक्त बैठक नही बुलाई जा सकती
c.सत्रावसान
पीठासीन अधिकारी (स्पीकर या अध्यक्ष) सदन को सत्र के पूर्ण होने पर अनिशिचत काल के लिए स्थगित करता है। इसके कुछ दिनों में ही राष्टृपति सदन सत्रावसान की अधिसूचना जारी करता है। हालाँकि,राष्टृपति सत्र के दौरान भी सत्रावसान कर सकता है।
d.स्थगन
यह सदन के सभापति दवारा संसद के सत्र में छोटे समय के लिए अवकाश होता है। इसकी अवधि कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटे, दिन या सप्ताह हो सकता है।
e.अनिशिचित काल के लिए स्थगत
जब सदन पुन: बैठक के दिन की घोषणा के बिना ही स्थगित कर दिया जाता है तो उसे अनिशिचत काल लिए स्थगन कहते है।
संसद सदस्य की अयोग्यता के बिंदु
संसद सदस्य को निम्न आधारों पर अयोग्य ठहराया जा सकता है।
अनुच्छेद 102 (1)(a): यदि वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है। संसद (सदस्य की अयोग्यता संबंधी) अधिनियम 1959 के अनुसार संसद दवारा तय कोई पद या मंत्री पद लाभ के पद नही है।
भारतीय संसद | bharatiy sansad पर आधारित FAQ प्रश्न
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Q1. भारत में कुल कितने सांसद हैं?
545
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Q2. संसद भवन का उद्घाटन कब हुआ था?
संसद भवन का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को उस समय के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन के द्वारा किया गया था।
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Q3.लोकसभा अध्यक्ष कौन है वर्तमान में?
श्री ओम बिरला
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Q4. राज्य सभा के अध्यक्ष कौन होता हैं ?
उपराष्ट्रपति
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Q5.भारतीय संसद में कितने सदन होते हैं ?
भारतीय संसद में 2 सदन होते हैं राज्यसभा और लोकसभा
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Q6.राज्यसभा को और किस नाम से जाना जाता हैं ?
राज्यसभा को उच्च सदन Council of States के नाम से भी जाना जाता हैं
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Q7.लोकसभा को और किस नाम से जाना जाता हैं ?
लोकसभा को निम्न सदन House of The People के नाम से भी जाना जाता हैं
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Q8.संसद के सदस्य को क्या कहा जाता है?
सांसद
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Q9.भारतीय संसद में किस सदन को भंग किया जा सकता हैं ?
लोकसभा
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10.भारतीय संसद में किस सदन को भंग नहीं किया जा सकता हैं ?
राज्यसभा
निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम सब ने bharatiy sansad ka gathan के बारें में जाना बहुत सारे मुख्य बिन्दु के bharatiy sansad के बारे में बात किया यदि आपको bharatiy sansad ka gathan से जुड़ा आज का पोस्ट पसंद आया हो तो इसे शेयर और कोई त्रुटि रह गया हो तो कमेंट करके जरुर बताये।
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