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बिहार का इतिहास History of Bihar in hindi
आज के इस Article में हम सब History of Bihar in hindi बिहार का इतिहास हिन्दी में जानेगे बिहार के इतिहास के स्ट्रोत्र क्या हैं विदेशी लेखक क्या जानकारी प्राप्त हुआ हैं
बिहार “विहार” का ही एक परिवर्तित रूप है। बहुसंख्यक बौद्ध विहारो के कारण इसका नाम विहार पड़ा, जो बाद में बिहार हो गया। विहार का अर्थ शिशुओं का आवास भी होता है।
इस विस्तृत ऐतिहासिक चरण में बिहार की भूमिका निर्णायक रही है और इससे संबंधित ऐतिहासिक और पूर्व ऐतिहासिक साक्ष्य राज्य से प्राप्त हुआ है।
बिहार के इतिहास के अध्ययन-संबंधी अनेक स्त्रोत्र हैं जिसमे पुरातात्विक और साहित्यिक भी है । एतिहासिक युग के लिए मुंगेर,चिराँद (सारण),चेचर (वैशाली),सोनपुर(सारण), और साहित्यिक रचनाओ में आठवि शताब्दी ई पूर्व में रचित शतपथ ब्राह्मण,पुराण,रामायण,महाभारत , बौद्ध रचनाय से जानकारी मिलती हैं ।
बिहार का इतिहास के स्रोत
इति :- अतीत (पुराना) और हास :- कहानी ,अतीत का कहानी ,पुरानी कहानी हम दूसरे शब्द में कह सकते हैं की अतीत की घटनाओं को प्रमाणित विवरण ही इतिहास कहलाता है।
किसी स्थान के इतिहास की जानकारी के लिए उस स्थान की स्रोत को आधार बनाया जाता है,की उस स्थान पर किन किन चीजों का प्रमाण मिला हैं । बिहार के इतिहास का अध्ययन पुरातत्विक और साहित्य स्रोत पर आधारित है ।
पुरातत्विक स्रोत
पुरातत्विक स्रोत में राज्य बिहार के कई राज्य में शिलालेख, स्तंभ लेख, स्मारक, सिक्के आदि की प्राप्ति हुआ था इस आधार पर और भी जानकारी प्राप्त हुआ हैं ।
लौरिया नंदगढ़ लौरिया अरेराज रामपुरवा इत्यादि स्थानों में मौर्यकालीन अभिलेख तथा बड़ी संख्या में 80 केवी प्राप्त हुए हैं इन क्षेत्रों में गुप्त कालीन सिक्के भी प्राप्त हुए हैं।
बसाढ़ में मिट्टी की अभिलेख से उत्कीर्ण दो मुहरे प्राप्त हुए हैं। इसमें से एक मुहर महादेवी की है।
बोधगया से एक अभिलेख प्राप्त हुआ है जो श्री लंका के एक भिक्षु महामना द्वितीय से संबंधित है।
भारतीय पुरातत्व विज्ञान के जनक कनिघम ने 1861 इसमें बिहार के विभिन्न स्थलों की पहचान की जैसे बोधी मंदिर, राजगीर के निकट बड़गांव आदि। बड़गांव में प्राचीन नालंदा महाविद्यालय स्थित है।
साहित्यिक स्रोत
रामायण महाभारत पुराण के अतिरिक्त बौद्ध ग्रंथ और जैन रचनाएं इत्यादि भी ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत करते हैं।
अथर्ववेद में बिहार शब्द का प्रथम उल्लेख हुआ है। मगध का प्रथम उल्लेख ऋग्वेद में किया गया था।
बिहार के इतिहास को प्रागैतिहासिक और ऐतिहासिक काल में बांटा जा सकता है।
प्रागैतिहासिक काल
प्रागैतिहासिक काल मानव सभ्यता के विकास से लेकर 1000 ई. पू. तक माना जाता है।
प्रागैतिहासिक काल मनुष्य का जीवन पत्थर का उपकरणों पर आधारित था। इस कारण पाषाण काल (Stone Age) भी कहते हैं। क्योकि उस समय के आदिमानव के जीवन और क्रिया-कलाप के साक्ष्य पत्थर के बने हथियारों और औजारों के रूप में मिलती हैं । पत्थर के उपकरणों के निर्माण कार्य परिवर्तनों के आधार पर इस कार्य को पूरा पाषाण, मध्य पाषाण, नवपाषाण काल में विभाजित किया गया है।
पुरापाषाण काल
यह पाषाण काल लगभग 100000 ई. पू. से 12,000 ई. पू .तक माना जाता है।
इस काल के दौरान हजारों के अवशेष बिहार के मुंगेर एवं नालंदा जिला से प्राप्त हुआ है।
मध्य पाषाण काल
12,000 ई. पू . से 6,000 ई. पू. तक मध्य पाषाण काल माना जाता है।
नवपाषाण काल
पाषाण काल को वर्ष 7,000 ई. पू. से 4,000 ई. पू. निर्धारित किया गया है।
इस काल के अवशेष चिरांद( सारण) और चेचर ( वैशाली), सोनपुर तथा मनीष से प्राप्त हुआ है नवपाषाण काल में छोटे आकार के पत्थर के औजार और कहीं-कहीं हड्डी के बने खुरदरी औजार शामिल है।
1962 ईस्वी में सारण में हुई खनन कार्य में नवपाषाण कालीन अस्थि उपकरण व कार्य चित्रण भी प्राप्त मिला है।
बिहार का इतिहास विदेशी यात्रियों से मिलनेवाली प्रमुख जानकारी
बिहार का इतिहास कुछ प्रमुख्य विदेशी यात्रियों से भी जानकारी मिलती हैं आइये जानते हैं कुछ विदेशी यात्रियों जैसे फ़ाहियान,मेगास्थनीज,इत्सींग के बारे में जाने –
फ़ाहियान :- फ़ाहियान एक विदेशी चीनी यात्री था जो गुप्त नरेश चन्द्रगुप्त द्वितीय के दरबार में आया था फ़ाहियान ने अपने विवरण में भारत के मध्यप्रदेश राज्य के समाज एवं संस्कृति के बारे में वर्णन किया हैं ।
मेगास्थनीज :- मेगास्थनीज सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था , जो चन्द्रगुप्त मौर्य के राजदरवार में आया था । इसके द्वारा अपनी प्रमुख्य पुस्तक इण्डिका में मौर्य समाज एवं संस्कृति के विषय में लिखा हैं ।
टेसियस :- टेसियस एक यूनानी-रोमन लेखक था यह पेशे से एक राजवैध था । यह अपने लेख में भारत के संबंध में बहुत एक आश्चर्यजनक कहानि लिखा था ।
संयुगन :- संयुगन एक चीनी लेखक था जो 518 ई. में भारत आया । संयुगन लगभग तीन वर्ष तक भारत में भ्रमण किया और बौध्य धर्म की भारत में प्राप्ति को एकत्रित किया
इत्सिन :- इत्सिन भी एक चीनी लेखक था जो 7 वी शताब्दी में अन्त में भारत आया था । इत्सिन अपने विवरण में नालंदा विश्व विध्यालय ,विक्रमशीला विश्व विध्यालय के बारे में वर्णन किया हैं ।
निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम सब ने History of Bihar in hindi के बारे में देखे साथ साथ बहुत सारे शब्दों के History of Bihar in hindi के बारे में बात किया यदि आपको History of Bihar in hindi से जुड़ा आज का पोस्ट पसंद आया हो तो इसे शेयर और कोई त्रुटि रह गया हो तो कमेंट करके जरुर बताये।
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