Table of Contents
Science notes in Hindi
दोस्तो Science में प्रकाशिकी optics बहुत ही important है आइये Optics Topic को Cover करते हैं
प्रकाशिकी (Optics)
Key of Point
- प्रकाश क्या है? (what is Light?)
- प्रकाश किरणों के प्रकार (प्रकाश किरणों के प्रकार)
- प्रकाशीय स्त्रोत (Sources of Light)
- प्रकाश के गुण (properties of Light )
- प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)
- परावर्तन के नियम (Laws of Reflection)
- प्रतिबिंम्ब (image)
- दर्पण (Mirror)
प्रकाश :-
प्रकाश वह कारक (factor) है जिसकी सहायता से हम किसी वस्तुओ को देखते है ।
यह एक प्रकार की ऊर्जा है,जो विधुत चुम्बकीय तरंगो के रूप में संचारित होती है ।
प्रकाश के जितने भी स्त्रोत है उनमें अन्य प्रकार की विभिन्न ऊर्जाओं को प्रकाश में बदला जाता है। अतः प्रकाश एक प्रकार का ऊर्जा है।
प्रकाश किरणों के प्रकार (Types of Light Rays)
सरल रेखा पर चलनेवाले प्रकाश को प्रकाश को प्रकाश की किरण (rays) कहते है।
प्रकाश के किरण तीन प्रकार का होता है।
- समानांतर किरणें या समांतर किरणपुंज (Parallel Beam):- ऐसी किरणें जो सभी बिन्दुओ पर परस्पर समान दूरी पर होती है उसे समानांतर किरणें कहलाती है।
- अभिसारी किरणें या अभिसारी किरणपुंज (Converging Beam) :- ऐसी किरणें जो किसी स्त्रोत से निकालकर एक बिन्दु पर आकार मिल जाती है, अभिसारी किरणें कहलाती है।
- अपसारी किरणें या अपसारी किरणपुंज (Diverging Beam) :- किसी स्त्रोत से निकली ऐसी किरणे जिनका विस्तार विभिन्न दिशाओ (direction) में होता है वह अपसारी किरणें कहलाती है।
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प्रकाशीय स्त्रोत (Sources of light)
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- जिस वस्तु से प्रकाश निकलता है,उसे प्रकाशीय स्त्रोत कहते है ।
- कुछ प्रकाशीय स्त्रोत प्राकृतिक-स्त्रोत (natural) और कुछ मानव-निर्मित है
यह 5 प्रकार के होता है।
- प्रदीप्त वस्तु (Luminous Bodies )
- अदीप्त वस्तु (Non-Luminous Bodies)
- पारदर्शक वस्तु (Transparent Bodies)
4.अर्ध पारदर्शक वस्तु (Translucent Bodies)
- अपरदर्शक वस्तु (Opaque Bodies)
- प्रदीप्त वस्तु (Luminous Bodies ) :-
ऐसी वस्तुएं जो स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित होती है उसे प्रदीप्त वस्तु
कहलाती है। जैसे – सूर्य, बल्ब, मोमबत्ती
- अदीप्त वस्तु (Non-Luminous Bodies) :- ऐसी वस्तुए जो स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित नही होती है उसे अदीप्त वस्तु कहलाती है। जैसे :- हमारे आस पास की वस्तु
- पारदर्शक वस्तु (Transparent Bodies) :- जिन वस्तुओ से होकर प्रकाश
की किरणें सीधी आर पार निकाल जाती है, पारदर्शक वस्तु कहलाती है।
जैसे :- काँच
4.अर्धपारदर्शक वस्तु (Translucent Bodies) :-
ऐसी वस्तुओ जिनसे होकर प्रकाश का कुछ भाग अवशोषित हो जाता है तथा कुछ भाग बाहर निकाल जाता है अर्धपारदर्शक वस्तु कहलाती है
जैसे – तेल से भीगा हुआ कागज
- अपरदर्शक वस्तु (Opaque Bodies)
जिन वस्तुओ से प्रकाश की किरणें बिल्कुल नहीं गुजरती है, अपरदर्शक वस्तु कहलाती है जैसे पत्थर, ईट,बालू इत्यादि
प्रकाश के गुण (Properties of light)
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- प्रकाश एक सरल रेखा में गतिमान होता है । प्रकाश के इसी गुण के कारण सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) एवं चन्द्रग्रहण (Lunar Eclipse) जैसी भौगोलिक परिघटनाएँ होती है।
- प्रकाश एक तरंग (Wave) तथा कण (Particle) की दोहरी प्रकृति (Dual Nature) प्रदर्शित करता है।
- सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुचने में 8 मिनट 19 सेकंड अर्थात 499 सेकंड का समय लेता है , जबकि चंद्रमा से पृथ्वी तक प्रकाश को आने में 1.28 सेकंड का समय लगता है ।
माध्यम | प्रकाश की चाल | माध्यम | प्रकाश की चाल |
निर्वात | 3×108 m/s | राक साल्ट | 1.96×108m/s |
काँच | 2 × 108 m/s | तारपीन का तेल | 2.04×108m/s |
जल | 2.25× 108 m/s | नायलान | 1.96×108 m/s |
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प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light) Science notes in Hindi
जब प्रकाश किसी वस्तु से टकराकर लौट जाती है इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते है ।या आसान भाषा में यह कह सकते है की मार्ग में पड़ने वाले अवरोध से टकराकर पुनः वापस अपने मार्ग पर लौट आता है । लौटने के इस क्रम में वह किसी विशेष कोण पर मूड जाता है। प्रकाश के इस गुण को प्रकाश का परावर्तन कहते है ।
परावर्तन के नियम (Laws of Reflection)
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- आपतित किरण,परावर्तित किरण एवं आपतन बिन्दु अथवा परावर्तक पृष्ठ पर डाला गया अभिलम्ब तीनों एक ही समतल पर होता है
- आपतन कोण(i) और परावर्तन कोण (r) के मान बराबर होते है
कोण i = कोण r
आपतित किरण (incident Ray) :- किसी सतह पर पडनेवाली किरण को आपतित किरण कहते है ।
आपतन बिन्दु (Point of Incident) :- जिस बिन्दु पर आपतित किरण सतह से टकराती है उसे आपतन बिन्दु कहते है ।
परावर्तित किरण – जिस माध्यम से चलकर आपतित किरण सतह पर आती है उसी माध्यम में लौट गई किरण को परावर्तित किरण (reflected ray) कहते है
अभिलंब :- किसी समतल सतह के किसी बिन्दु पर खिचें हुए लंब को उस बिन्दु पर अभिलंब कहते है ।
आपतन कोण :- आपतित किरण,आपतन बिन्दु पर खिचें गए अभिलम्ब से जो कोण बनाती है,उसे आपतन कोण कहते है ।
परावर्तन कोण :- परावर्तन किरण, आपतन बिन्दु पर खिचें गए अभिलम्ब से जा कोण बनती है उसे परावर्तन कोण कहते है
प्रकाश के परावर्तन के 2 नियम है:-
- आपतित किरण,परवर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर खींचा गया अभिलम्ब तीनों एक ही समतल में होते है ।
- आपतन कोण, परावर्तन कोण बराबर होता है ।
प्रतिबिंम्ब (image) :-
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किसी स्त्रोत से आ रही प्रकाशीय किरणें परावर्तन व अपवर्तन के पश्चात जिस बिन्दु पर एक दूसरे को काटती हैं अथवा काटती हुई प्रतीत होती हैं। उस बिन्दु को वस्तु का प्रतिबिम्ब कहते हैं ।
प्रतिबिम्ब के प्रकार
- वास्तविक प्रतिबिम्ब (Real Image)
- आभासी या काल्पनिक प्रतिबिम्ब (Virtual Image)
- वास्तविक प्रतिबिम्ब :-
- किसी स्त्रोत से आ रही प्रकाश की किरणें दर्पण से परावर्तन के बाद जिस बिन्दु पर वास्तव में मिलती हैं। उसे उस स्त्रोत का वास्तविक प्रतिबिम्ब कहते हैं।
- इस प्रतिबिम्ब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता हैं जैसे सिनेमा पर्दे पर बना प्रतिबिम्ब
- यह प्रतिबिम्ब वस्तु के अपेक्षा हमेशा उल्टा (Inverted) होता हैं
- आभासी या काल्पनिक प्रतिबिम्ब (Virtual Image) :-
- किसी स्त्रोत से आ रही प्रकाश की किरणें परावर्तन के बाद जिस बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती हैं, उसे उस स्त्रोत का आभासी प्रतिबिम्ब कहते हैं।
- इस प्रतिबिम्ब को पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता हैं
- यह प्रतिबिम्ब वस्तु के अपेक्षा हमेशा सीधा (Erect) होता हैं
दर्पण
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दर्पण काँच का ही एक भाग होता हैं, जिसकी एक सतह चिकनी तथा दूसरी सतह परावर्तक या पालिश की हुई होती है ।
दर्पण के प्रकार (types of Mirrors)
समतल दर्पण :-
- यदि परावर्तक पृष्ठ समतल हो तो इसे समतल दर्पण कहा जाता है
- इस दर्पण की दूसरी सतह पर चाँदी (silver) अथवा पारे का लेप किया जाता है
समतल दर्पण के गुणधर्म या विशेषताएँ
- इस दर्पण पर प्राप्त प्रतिबिम्ब सदैव आभासी और सीधा होता है
- प्रतिबिम्ब का आकार मूल वस्तु के आकार के बराबर होता है
- कोई वस्तु समतल दर्पण से जितना आगे होती है,उसका प्रतिबिम्ब दर्पण से उतना ही पीछे बनता है।
- प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है ।
- समतल दर्पण के पार्श्विक रूप से उल्टा होता है
Note: – समतल दर्पण में किसी वस्तु का पूरा प्रतिबिम्ब देखने के लिय उस वस्तु की आधी ऊँचाई का दर्पण प्रयोग करते हैं
समतल दर्पण का उपयोग :-
- इसका प्रयोग दैनिक जीवन में दर्पण के रूप में किया जाता है
- बहुदर्शी एवं परिदर्शी में किया जाता है
बहुदर्शी ;- इस में दो या दो से अधिक समतल दर्पण एक दूसरे से एक निश्चित कोण पर झुके हुए लगे होते है ताकि वे एक साथ एक से अधिक वस्तुओं के प्रतिबिम्ब दिखा सकें ।
परिदर्शी :- दिशा में स्थित वस्तुओं को देखने के लिय किया जाता हैं । इसका प्रयोग पनडुब्बियों में प्रयोग किया जाता हैं
गोलीय दर्पण (Spherical Mirror):-
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ऐसा दर्पण, जिसकी परावर्तक सतह एक खोखले गोले का भाग हो अथवा गोलाकार (Spherical) सतह से निर्मित किया गया हो उसे गोलीय दर्पण कहलाता है।
गोलीय दर्पण समान्यतः काँच के एक टुकड़े पर चाँदी (Silver) का लेप करके बनाया जाता है वक्रता केंद्र (centre of curvature ):-
गोलीय दर्पण जिस खोखले गोले का भाग होता है। उस खोखले गोले के केंद्र को दर्पण का वक्रता केंद्र कहते है ।
वक्रता केंद्र को C से Indicate करते है
- ध्रुव (Pole) :-
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दर्पण के परावर्तक पृष्ठ पर स्थित केंद्र को दर्पण का ध्रुव कहते है
ध्रुव को P से Indicate कहते है
- वक्रता त्रिज्या (Radius of Curvature)
गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ जिस वृहद गोले का भाग होता है वह उस गोले की वक्रता त्रिज्या (R) कहलाती है यह ध्रुव तथा वक्रता केंद्र के मध्य की दूरी का दर्शाती है ।
- फोकस (Focus):-
मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु, जहां मुख्य अक्ष के समानान्तर आती हुई किरणें गोलीय दर्पण से परावर्तन के पश्चात जिस बिन्दु पर आपतित होती हैं उस बिन्दु को दर्पण का फोकस बिन्दु (Focal Point) कहते हैं ।
- फोकस दूरी (Focal length):-
गोलीय दर्पण के ध्रुव एवं फोकस के मध्य की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं ।
उत्तल दर्पण (Convex Mirror)
वह गोलीय दर्पण, जिसकी बाह्य सतह उभरी हुई हो उसे उत्तल दर्पण कहते हैं।
इसकी आंतरिक सतह को लेपित (पोलिश) किया जाता है ।
यह दर्पण अनंत से आने वाली किरणों को फैलाता है। इसलिए इसे अपसारी दर्पण भी कहा जाता है।
उत्तल दर्पण के उपयोग:-
- स्कूटर, मोटर कार, बस आदि में पीछे के वाहनों को देखने के लिए अर्थात साइड मिरर के रूप में
- स्ट्रीट लाइट में इसका उपयोग किया जाता है क्योकि इनका दृष्टि-क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत होता है ।
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अवतल दर्पण(Concave Mirror)
ऐसा दर्पण, जिसका परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर झुका हुआ अथवा वक्रिय को अवतल दर्पण कहलाता है। इसका बाहरी भाग लेपित होता है ।
अवतल दर्पण के उपयोग
चिकित्सकों द्वारा रोगियों के नाक, कान,दांत आदि की जांच के लिय
सर्चलाइट, टार्च एवं वाहनों की हेडलाइट में, सोलर कुकर, शेविंग दर्पणों में परावर्तक दूरबीन आदि में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता हैं ।
दर्पण सूत्र (Mirror Formula)
गोलीय दर्पण में दर्पण के ध्रुव से बिन्दु की दूरी (u),ध्रुव से प्रतिबिम्ब की दूरी (v) तथा ध्रुव से मुख्य फोकस की दूरी (f) कहलाती है।
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Very nice sir