ऊर्जा के स्त्रोत (source of energy) class 10
ऊर्जा :- कार्य करने की क्षमता को उर्जा करते है .
ऊर्जा के अनेक रूप होता है जैसे यांत्रिक ऊर्जा ,रासायनिक ऊर्जा ,उष्मीय ऊर्जा,प्रकाशीय ऊर्जा,विधुत ऊर्जा,निभिकीय ऊर्जा आदि
ऊर्जा के संरक्षण के अनुसार,ऊर्जा न तो उत्पन्न और न ही नष्ट की जा सकती है .
उर्जा के स्त्रोत :- वे विशेष पदार्थ या प्रक्रम जिनसे मिलने वाली उर्जा का उपयोग अधिक मात्रा में अधिक दिनों तक किसी व्यवहारिक कार्य को सम्पन्न करने में किया जाता है,ऊर्जा के स्त्रोत कहलाते है.
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ऊर्जा के स्त्रोत (source of energy)के वर्गीकरण
उर्जा के अनवीकरणीय स्त्रोत : ऊर्जा के वे स्त्रोत जो प्रकृति में अत्यधिक दीर्घकाल में संचित हुए है और समाप्त हो जाने पर शीघ्र प्रतिस्थापित नहीं किये जा सकते है,ऊर्जा के अनवीकरणीय स्त्रोत कहलाते है
ऊर्जा के अनवीकरणीय स्त्रोत भूमि से खोद कर निकाले जाते हैं
ऊर्जा के अनवीकरणीय स्त्रोत:- जीवाश्म ईधन (कोयला,पेट्रोलियम,प्राकृतिक गैस आदि)और नाभिकीय ईधन (युरेनियम)
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ऊर्जा के अनवीकरणीय स्त्रोत,ऊर्जा के परम्परागत स्त्रोत भी कहलाते हैं
ऊर्जा के नवीकरणीय स्त्रोत :- ऊर्जा के वे स्त्रोत जो प्रकृति में निरंतर उत्पन्न होते रहते हैं और अक्षय और असीमित होते हैं,ऊर्जा के नवीकरणीय स्त्रोत कहलाते हैं .
ऊर्जा के नवीकरणीय स्त्रोत हैं – जल ऊर्जा , पवन ऊर्जा ,सौर ऊर्जा ,समुंद्र से ऊर्जा,ज्वारीय ऊर्जा ,समुद्र-तरंग ऊर्जा,महासागरीय ऊष्मा ऊर्जा , भू-तापीय ऊर्जा,जैव द्रव्यमान ऊर्जा हैड्रोजन आदि .
ऊर्जा के नवीकरणीय स्त्रोत,ऊर्जा के अपरम्परागत स्त्रोत भी कहलाते हैं .
ईधन :- वैसे पदार्थ जो दहन पर ऊष्मा उत्पन्न करते हैं ईधन कहलाते हैं .
एक अच्छा ईधन वह हैं –
- जिसका भण्डारण और परिवहन आसन हो
- जिसके दहन की दर माध्यम हो
- जिसके जलने पर विषैले उत्पाद पैदा न हो
- जो जलने पर अधिक ऊष्मा निर्मुक्ति करे
- जो आसानी से उपप्ल्ब्ध हो .
- जो अधिक धुँआ उत्पन्न न करे
उष्मीय मान : ईधन के इकाई द्रव्यमान को पूर्णरूप से जलाने पर उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा को उसका उष्मीय मान कहा जाता है
उष्मीय मान मापने का सामान्य मात्रक किलोजूल प्रतिग्राम (kJ/g) है
डायग्राम
ज्वलन ताप :- वह न्यूनतम ताप जिस पर कोई ईधन जलना प्रारम्भ करता है उस ईधन का ज्वलन ताप कहलाता है
जीवाश्म ईधन :- पेड़-पौधो और जन्तुओ के अवशेषों से भूमि के निचे गहराई में बने प्राकृतिक ईधन,जीवाश्म ईधन कहलाते है .
कोयला :- कोयला कार्बन,हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के यौगिक का एक जटिल मिश्रण है कोयले में नाइट्रोजन और सल्फर यौगिकों की भी थोड़ी सी मात्रा उपस्थित होती है
कोक :- ,कोयले से एक उत्तम ईधन होता है क्योकि वह अधिक ऊष्मा उत्पन्न करता है और जलने समय वह धुँआ नहीं उत्पन्न करता है .कोक में 98 % कार्बन होता है
पवन उर्जा :
गतिमान वायु,पवन कहलाती है
हमारे देश की पवन विधुत क्षमता लगभग 45,000 MW आकलित की गयी है .
सौर ऊर्जा : सूर्य से प्राप्त ऊर्जा ,सौर ऊर्जा कहलाती है .
ऊर्जा जो सूर्य से भू-अन्तरिक्ष के निकट प्राप्त की जाती है,लगभग 1.4 किलो जूल प्रति वर्ग मीटर होती है और यह मात्रा सौर उष्मांक कहलाती है .
सौर ऊर्जा का ऊश्मांक का मान 1.4 kj/s/m2 या 1.4kW/m2 होता है
सौर सेल एक युक्ति है जो सौर ऊर्जा को सीधे बिजली में परिवर्तित करती है
सागर से ऊर्जा :-
ज्वारीय ऊर्जा :- चन्द्रमा के गुरुत्वीय खिचाव के कारण सागरीय जल का चढ़ना “ज्वार” कहलाता है जबकि सागरीय जल का उतरना “भाता” कहलाता है
सागर में ज्वारीय तरंगे दिन में दो बार बढती और लौटती है
तरंग ऊर्जा :- तरंग ऊर्जा का मतलब “समुंद्र-तरंगों की ऊर्जा” है
समुद्र या सागर की सतह पर पवन के बहने से उसकी सतह पर काफी तेज गति से समुंद्र-तरंगे चलती है
महासागरीय तापीय ऊर्जा : महासागर की सतह पर और नितल स्टारों पर जल के बीच ताप में हमेशा अंतर के कारण उपलब्ध ऊर्जा महासागर तापीय ऊर्जा कहलाती है
एक प्रकार के OTE विधुत संयंत्र में , महासागर की सतह के गरम जल को ,अमेनिया या क्लोरोफ्लोरोकार्बन [CFC] जेसे-द्रव को उबालनेके लिए प्रयोग किया जाता है
महासागर तापीय ऊर्जा का सबसे बारा फायदा है की इसे वर्ष (दिन में 24 घंटे ) लगातार उपयोग किया जा सकता है
महासागर तापीय ऊर्जा ,ऊर्जा का एक नाविकनीय स्रोत है और इसका उपयोग कोई प्रदुषण नही उत्पन्न करता है | भू-तापीय ऊर्जा (Geothermal Energy):
‘Geo’का अर्थ होता है ‘earth’ (भू या धरती ) और ‘thermal’ का अर्थ होता है ‘heat’ (या ताप )| भूतापीय ऊर्जा, धरती या भूमि के भीतर उपस्थित गरम चट्टानो से प्राप्त ऊष्मा ऊर्जा होती है
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